अप्रैल और मई महीने में मैं कनाडा की फेडरल पार्लियामेंट के चुनाव के सिलसिले में कनाडा में था। वहां हर कोई यह जानना चाहता था कि 2012 में होने वाले पंजाब विधान सभा चुनाव का नतीजा क्या होगा। हर कोई यही सवाल करता था कि सरकार किसकी बनेगी। सबसे हॉट प्रश्न था -मनप्रीत बादल का क्या होगा ? उन्हें कितनी सीट मिलेंगी ? जब मैं अमेरिका गया तो वहां भी ऐसी ही उत्सुकता देखने को मिली। मैं अपनी समझ के मुताबिक जवाब देता रहा, लेकिन मुझे लगा कि इस बार पंजाब के चुनाव में प्रवासी पंजाबियों की दिलचस्पी कहीं ज्यादा है। इसका एक कारण उन एनआरआईज़ को वोट का हक दिया जाना भी है, जिन्होंने अभी किसी और मुल्क की नागरिकता नहीं ली। यह अलग बात है कि नए एक्ट में कुछ तकनीकी खामियों के चलते बहुत कम एनआरआई ही वोट दे सकेंगे। पंजाब में अभी 200 के करीब एनआरआई वोटर बने हैं।
चुनाव में उनकी अधिक रुचि को देखते हुए पंजाब की सभी पार्टियों के नेता इन दिनों विदेश के चक्कर लगा रहे हैं। उनको डॉलर / पौंडों के साथ-साथ वोट और सपोर्ट भी चाहिए। पीपुल्ज पार्टी ऑफ़ पंजाब के मुखिया मनप्रीत बादल भी इन दिनों इसी चक्कर में यूएस ए और कनाडा के दौरे पर हैं। इस बार आधे दर्जन से ज्यादा एनआरआई तो कांग्रेस और अकाली दल की टिकट लेने के इच्छुक हैं । लगता है इस बार मनप्रीत की पार्टी सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीओं को टिकट देगी। एक अनुमान के अनुसार विधानसभा कि 40 सीटें ऐसी हैं जहां प्रवासी पंजाबियों का प्रभाव चुनाव नतीजे पर पड़ता है। इनमें अधिक सीटें दोआबे में हैं। माना जा रहा है कि इस बार 20 से 25 हज़ार एनआरआई सीधे इस चुनाव में सरगर्म होंगे। पंजाब के एकाएक एनआरआई विधायक जस्सी खंगूरा का कहना है कि 500 से अधिक तो प्रवासी भारतीय उनके चुनाव में प्रचार करेंगे। पंजाब मूल के कुल 50 लाख प्रवासी विदेशों में हैं। इनमें से 30 लाख अमेरिका, कनाडा,यूके और दूसरे विकसित मुल्कों में हैं जिनमें ऑस्ट्रेलिया, इटली, जर्मनी, न्यूज़ीलैण्ड, स्पेन तथा बेल्जियम जैसे मुल्क भी शामिल हैं। इनमें से सिर्फ 15 लाख ने दूसरे देशों की नागरिकता ले रखी है। अन्य 20 लाख खाड़ी या अरब देशों में हैं। इनमें से अधिकतर लेबर करने वाले हैं जो लंबे समय से वहां नहीं रहते और न ही उनको नागरिकता मिलती है। प्रवासी पंजाबियों में से किस पार्टी को कितनी माया और कितना समर्थन मिलेगा इसका पूरा हिसाब इसका पूरा हिसाब लगाना तो मुश्किल है। अकाली-भाजपा सरकार ने उनके लिए कुछ एलान भी किए हैं, स्पेशल 6 एनआरआई पुलिस थाने और स्पेशल कोर्ट जैसे कदम भी उठाएं हैं, लेकिन आम एनआरआई इनसे संतुष्ट नहीं हैं। गर्म दलों वाले कुछ एनआरआई और पंजाब मीडिया के लोग भी बादल दल के वैसे ही खिलाफ हैं। मीडिया की शिकायत है कि न तो उनको ठीक तरह से सूचना मिलती है और न सरकारी विज्ञापन। मीडिया में बादल सरकार की आलोचना ज्यादा होती है, प्रशंसा कम । इस स्थिति का लाभ सरकार विरोधी पार्टियों को तो मिलेगा ही। विदेशों में कैप्टन के जो पक्के समर्थक थे उनमें से काफी अब मनप्रीत बादल की बैठकें करवाने में सरगर्म हंै।<
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तिरछी नज़र/ बलजीत बल्ली /TIRCHHI NAZAR BY B,
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