महान स्वतंत्रता सेनानी, हरियाणा के निर्माता, किसानों के मसीहा, भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह एवं मेरे पूज्य दादा जी चौधरी देवीलाल चाहे आज हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनकी जन कल्याणकारी नीतियों एवं दूरदर्शी सोच की बदौलत वे आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में रचे बसे हुए हैं। उनकी कही हुई बातें व नीतियां आज के दौर में और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं। आज उनका 99वां जन्म दिवस है। मुझे दादा जी के साथ रहकर बहुत कुछ सीखने और देखने का अवसर मिला और उन्हीं की प्रेरणा व आशीर्वाद से मैंने राजनीति के माध्यम से जनता की सेवा को अपनाया है। दादा जी अक्सर कहा करते थे कि \'लोकराज लोकलाज से चलता हैÓ और \'सत्ता सुख भोगने का नहीं बल्कि जनमानस की सेवा करने का माध्यम हैÓ।
युगपुरुष चौधरी देवीलाल जी द्वारा कही गई बातें, उनकी दूरगामी सोच व आम आदमी के लिए उनके दिल में जो दर्द था उसका अहसास अब हर कोई महसूस करने लगा है। चौधरी देवीलाल जी का जन्म 25 सित बर, 1914 को गांव तेजाखेड़ा के किसान परिवार में हुआ। प्राथमिक शिक्षा चौटाला गांव में और मिडिल परीक्षा डबवाली के सरकारी स्कूल से पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने मोगा शहर के एसडी स्कूल में प्रवेश लिया। वह ऐसा समय था जब पूरे भारतवर्ष में स्वतंत्रता आंदोलन की लपटें उठ रही थी। अखबारों में महात्मा गांधी, लाल लाजपत राय, सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के किस्से सुर्खियों में छपते थे और उनसे प्रभावित होकर मात्र 15 साल की उम्र में घरवालों को बिना बताए ही चौधरी देवीलाल जी आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। वे एक सशक्त एवं क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी होने के साथ-साथ निर्भिक, पराक्रमी, बेहद साहसी एवं मानवता के पुजारी थे। वे अन्याय व अत्याचार का मुकाबला करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे और शोषित किसान, गरीब, मजदूर, छोटे दुकानदार व ग्रामीण समुदाय के प्रति उनका असीम प्रेम था। वे सही अर्थों में गांधीवादी होने के साथ-साथ बेहद सरल, सादा, तप, त्याग एवं संघर्ष की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने जीवन में कभी हार-जीत की परवाह नहीं की और बड़े से बड़े पद को ठोकर मारने में भी संकोच नहीं किया।
चौधरी देवीलाल जी ने अंग्रेजों की पूंजीवादी संस्कृति के खिलाफ ल बा संघर्ष किया था और वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच एवं उनके जीवनदर्शन से बेहद प्रभावित थे। दादा जी यह भी कहा करते थे कि \'हर पेट में रोटी, बाकी बात खोटीÓ व \'हर खेत को पानी, हर हाथ को काम, हर तन पे कपड़ा, हर सिर पे मकानÓ। चौधरी साहब ने अनेक बार स्वतंत्रता आंदोलन में जेलें काटी और आपातकाल के दौरान भी वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए लगातार 19 महीने जेल में बंद रहे। मु यमंत्री बनते ही उन्होंने जनहित की ऐसी योजनाएं लागू की जिसका बाद में पूरे देश में अनुसरण हुआ। चौधरी साहब ने बुढ़ापा स मान पेंशन लागू की और कर्ज में डूबे हुए गरीब, किसान, मजदूर के दस हजार रुपए तक के कर्जों को माफ करके उन्हें राहत पहुंचाई। उनका मानना था कि जब तक किसान, मजदूर, गरीब, कमेरे वर्ग व छोटे दुकानदार की खरीद शक्ति नहीं बढ़ाई जाएगी और उन पर पडऩे वाले बोझ को कम नहीं किया जाएगा तब तक देश में सही मायने में समाजवाद नहीं आ सकता। पिछले कुछ दिनों से दो मुद्दे प्रमुखता से राष्ट्रीय स्तर पर छाए हुए हैं। इनमें एक मुद्दा कोल ब्लॉक आबंटन व घोटाले व 2जी स्पेक्ट्रम से जुड़ा है और दूसरा खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश की इजाजत के संबंध में है।
चौधरी साहब लोगों के हित में किए जाने वाले संघर्ष को न्याययुद्ध कहा करते थे और उन्होंने ही सबसे पहले न सिर्फ न्याययुद्ध चलाया बल्कि 1987 में दूसरी बार मु यमंत्री बनने के बाद देश के सभी छोटे-बड़े क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को एक ही झण्डे के तले इक_ा कर जनता दल का गठन किया और 1989 में देश की राजनीति में बदलाव लाते हुए न सिर्फ केंद्र से कांग्रेस पार्टी की सरकार को बल्कि गांधी परिवार की सत्ता को भी उखाड़ फैंकने का काम किया था। उस समय चौधरी देवीलाल सर्वस मति से देश के प्रधानमंत्री चुन लिए गए थे लेकिन उन्होंने अपने सिर पर रखे गए प्रधानमंत्री पद के ताज को वीपी सिंह के सिर पर रखते हुए त्याग की एक मिसाल पेश की थी। अब देश के कुछ राजनेताओं व सत्तापक्ष के सांसदों पर कोल ब्लॉक आबंटन मामले में लाखों करोड़ रुपए के घोटालों का आरोप लग रहा है और उसमें हरियाणा के एक कांग्रेसी सांसद व विधायक के परिवार पर भी सबसे ज्यादा फायदा उठाने का आरोप है, यह अपने आपमें बेहद शर्मनाक है। आज देश में जहां आम आदमी की हालत बेहद खराब है वहीं हरियाणा में आए दिन उजागर हो रहे भूमि घोटालों ने भी सभी को झकझोर कर रख दिया है। इन घोटालों को लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसलों में सरकार को करारी फटकार लगाई है। अब ऐसा लगने लगा है कि केंद्र व प्रदेश में सत्तारूढ दल सत्ता का इस्तेमाल केवलमात्र अपने निजी स्वार्थों के लिए करने लगे हैं और उनका ध्येय जनसेवा नहीं रह गया है। ग भीर आरोपों के बावजूद सत्तापक्ष के लोगों की इन घोटालों पर निरंतर चुप्पी भी यह दर्शाती है कि उन्हें लोकलाज का भी भय नहीं है। ऐसा लगता है कि इन राजनेताओं ने चौधरी देवीलाल द्वारा बताई गई उस लोकतांत्रिक मर्यादा को पूरी तरह से भुला दिया है कि लोकराज लोकलाज से चलता है और सत्ता सुख भोगने का नहीं बल्कि जनसेवा का माध्यम है। आज केंद्र सरकार के उस फैसले जिसमें खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है, को लेकर भी देश व प्रदेश का व्यापारी वर्ग आंदोलनरत है। बढ़ती महंगाई और डीजल व रसोई गैस के दामों में बढ़ौतरी से भी आम आदमी बेहद परेशान है।
चौधरी देवीलाल जी कहा करते थे कि सरकार का काम आम लोगों को राहत पहुंचाना और उनकी परेशानियों को दूर करना होता है। उन्होंने प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों एवं मजदूरों को सरकारी कोष से राहत देने की शुरुआत की थी। वे कहा करते थे कि सरकार का काम ज्यादा से ज्यादा टैक्स इक_े करना नहीं बल्कि सरकारी खजाने में आने वाले राजस्व को अधिक से अधिक लोगों को राहत पहुंचाना होता है। अब विदेशी निवेश से देश का छोटा-छोटा दुकानदार मुकाबला नहीं कर पाएगा और सरकार के इस निर्णय से करोड़ों परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। दादा जी कहा करते थे कि हर हाथ को काम, हर पेट को रोटी- बाकी बात खोटी। उनकी सोच थी कि अगर देश व प्रदेश में लोग दो वक्त भरपेट खाना नहीं खा सकते और उनके पास आजीविका चलाने का कोई साधन नहीं रह पाएगा तो देश पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा और ऐसी किसी भी सरकार को लोकतांत्रिक एवं जनहित की सरकार नहीं कहा जा सकता। रसोई गैस की आपूर्ति सीमित किए जाने से गरीब आदमी के घर का चूल्हा भी नहीं जल पाएगा और डीजल के दामों में बढ़ौतरी से किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। ऐसे फैसले जनहित में नहीं माने जा सकते। आज जरूरत टैक्स की दरों में कमी करने, छोटे दुकानदार, गरीब, मजदूर व मध्यम वर्ग के परिवारों को सरकारी फैसलों से राहत देने की है। अगर सरकार जनहित में इन फैसलों को नहीं बदलती तो निश्चित तौर पर महात्मा गांधी व चौधरी देवीलाल जी के सपनों एवं स्वदेशी आंदोलन के बलबूते देश को दिलाई गई स्वतंत्रता और अंग्रेजों की पूंजीवादी संस्कृति के खिलाफ महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को गहरा आघात लगेगा।
वर्तमान में चौधरी देवीलाल की विचारधारा के अनुरूप हमारी पार्टी इनेलो उन्हीं के दिखाए हुए रास्ते पर चलते हुए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपना अभियान जारी रखे हुए है और इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि जब तक गरीब, मजदूर, किसान, छोटे दुकानदार एवं सर्वहारा वर्ग को उनके अधिकार नहीं मिल जाते तब तक चयन से नहीं बैठेंगे और जनांदोलन ऐसे ही चलता रहेगा। जब जब चौधरी देवीलाल जी के करवाए गए जनहित कार्यों की चर्चा होगी तब-तब हमें यह अहसास होगा कि वे हमारे कहीं आसपास ही खड़े हैं और हमारे दुख-सुख की बातें सुन रहे हैं। मुझे भारतीय राजनीति के पुरोद्धा के विषय में यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि आने वाली पीढिय़ों को शायद यह विश्वास नहीं हो पाएगा कि इतने जुझारू, संघर्षशील, महान स्वतंत्रता सेनानी, त्यागी, दूरदर्शी सोच के धनी और भारतीय राजनीति के अपराजित नायक चौधरी देवीलाल ने हरियाणा की इसी पावन भूमि पर जन्म लिया था। इन्हीं शब्दों के साथ दादा जी से जुड़ी हुई हर याद को सादर नमन्।
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लेखक : डॉ. अजय सिंह चौटाला, व&,
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