हरयाणा के मुख्य मंत्री भूपेन्द्र सिंह हूडा ने कहा है .सी ए जी रिपोर्ट को मीडिया ने बेवज्ह उछाला है .यह रिपोर्ट सदन में पेश करना तो एक साधारण बात होती है.हूडा साहिब ठीक ही तो कह रहें हैं.पिछले कई वर्षों से इन रिपोर्ट्स की कोई भी प्रवाह नहीं करता था . कोई समय था जब प्रदेश के के लेखाकार का दबदबा होता था .एक आडिट पैरे को भी गंभीरता से लिया जाता था .धीरे -धीरे इन रिपोर्टों को नज़र अंदाज़ किया जाने लगा .जब विधान सभा में रिपोर्ट्स पेश होती थी .यह एक रस्मी करवाई ही बन कर रह गई थी . मेरे जैसे दो- चार पत्रकार इनमें उजागर की गई सरकार की विती और गैर-विती अनिय्मातायें को प्रकाशत करते थे . सरकार या अधिकारिओं पर इस का कोई असर नहीं होता था.ना ही इन रिपोर्ट्स की कोई चर्चा होती थी .मैंने भी यह रिपोर्ट्स की खबरें बंद कर दी थी .बात इस से भी आगे चली गई थी .कुछ पत्रकार इन रिपोर्ट्स के बंडलों को रद्दी समझ कर ही लेजाने लगे थे .बेचारे ए जी दफ्तर के आल्हा अफसर पत्रकारों का पीछा कर सी ए जी रिपोर्ट के अहिम अंशों को छपवाने की कोशिश करने लगे थे . आखर इस स्थिति को बदला मौजूदा सी ए जी विनोद राय ने . 2 जी सपेक्टरुम लसंस मामले का स्कैंडल एक्सपोज़ हुआ. सी ए जी की खुदमुख्तार हस्ती को चुनौती देने और दबाने की भी कोशिश हुई .लेकिन ऐसा नहीं हो सका तो इसमें मीडिया की भूमिका अहम् थी .मीडिया का दोष नहीं. सरकार का लेखा-परीक्षा होती है यह .इस को क्यों ना लोगो के सामने पेश किया जाए. सी ए जी रिपोर्ट्स को सही स्थान मिलने ही अब लगा है .1948 से आज तक 11 सी ए जी नियुक्त हुए.सबसे चर्चित विनोद राय ही हुए हैं.
अमरिंदर पहले ऐसा करते तो शायद ----- ?
आज कल पंजाब कांग्रस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह के तेवर बदले हुए हैं .वो कभी कांग्रसी वर्करों के साथ थाने में घुसते हैं .कभी पंजाब का चक्का जाम करने की धमकी देते हैं.राजनीतक गलिआरों में चर्चा है .कुर्सी बचाने की कोशिश में हैं वो.एक टिप्पणी यह भी है .अगर चुनाव से पहले ,पिछले वर्षों में वो इसी अंदाज़ में होते . अब जैसी गतिविधियाँ करते तो वो सडकों की जगा राजगद्दी पर भी हो सकते थे . सत्ता में बने रहने के लिए प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल दोनों ही अमरिंदर की कार्य शैली के शुक्रगुज़ार हैं .
क्यों नहीं हुआ नगरों के नए नामकरन का नोटीफिकेशन ?
12 फरवरी 2012 को पी टी आई के हवाले से खबर आई थी.भारतीय ग्रह मंत्राले ने देश के 25 नगरों की नाम-बदली को मंज़ूरी दे दी है .इस में 4 नगर पंजाब के भी थे .एस ए एस नगर का बदला हुआ नाम अजीतगढ़ ,सुनाम का नया नाम सुनाम उधम सिंह वाला ,नवां शहर को शहीद भगत सिंह नगर और मुक्तसर को श्री मुक्तसर साहिब का नाम दिया जाना था .इस खबर के बाद कुछ सरकारी और गैर सरकारी लोगों ने नए नाम लिखने भी शुरू कर दिए .पर अफ़सोसनाक खबर है की अभी तक यह नोटीफिकेशन पंजाब सरकार के पास नहीं पहुंचा.नतीजा ,राजस्व रिकॉर्ड में अभी भी नाम नहीं बदले गए.फैडरल प्रणाली की वकालत करते प्रकाश सिंह बादल बिलकुल सही कहा करतें हैं की प्रदेश सरकार तो किसी गाँव का नाम नहीं बदल सकती.एक दिलचस्प किस्सा है.होशिआरपुर के नंगल चोरां गाँव का नाम बदल कर नंगल खिलाड़ियाँ रखने की तजवीज़ 1981 में बनी थी .भारत सरकार से पूरे 25 वर्ष बाद नए नाम की मंज़ूरी मिली थी . देखते हैं अब चार नगरों को नए नाम कब मिलेंगे .
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