संसद में इधर सशस्त्र बलों में महिलाओं को कमीशन देने का मामला जोरदार तरीके से उठाया गया। सरकार की ओर से जवाब भी मिला। रक्षा मंत्रालय ने अपनी नई नीति भी बता दी। यह प्रश्न अकाली दल के सांसद बलविंदर सिंह भूंदड ने उठाया था। जवाब जैसा भी रहा हो, प्रश्न अच्छा था। पंजाब की एक महिला अफसर ने यह खबर पढ़ी, प्रतिक्रिया काफी तीखी थी, ‘इनको कहो, अपने गिरेबां में भी झांके, पंजाब की महिला अफसरों की भी सुनो’ उन्हें अह्म पदों से अलग रखने की प्रथा जारी है। उच्च और अहम पदों पर कितनी औरतें दिखाई पड़ती हैं? योग्यता एवं वरीयता के हिसाब से क्या उनकी पोस्टिंग हो रही है ? इसका हिसाब लगाओ, ‘मैंने उसकी सुनी, नजर दौड़ाई, मोटा हिसाब लगाने की कोशिश की, लगा कि उस महिला अफसर की बात में दम है।’ पंजाब कैडर के आईएएस तथा पीसीएस में महिलाओं की हिस्सेदारी वैसे भी कम है। 15 अगस्त तक कुल 172 आईएएस में 26 महिलाएं थीं। 141 पीसीएस में से महिलाएं सिर्फ 21 थीं। जो है भी, उनका अनुपात अहम पदों पर कम है। राजधानी चंडीगढ़ में ,पंजाब सचिवालय में, जिलों में प्रशासनिक ज्यादा ताकत और अथॉरिटी वाले अधिकतर पद पुरुष अफसरों के पास ही हैं। पंजाब के डेढ़ दर्जन के करीब कमीशन, ट्रिब्यूनल तथा अर्ध-खुदमुख्तार संस्थान हैं। इनके 50 के करीब सदस्य हैं। इनमें केवल आधा दर्जन महिलाएं ही हैं। अभी बुधवार को गठित राइट टू सर्विस कमीशन में कोई महिला शामिल नहीं की गई। एक सीनियर महिला आईएएस ने सदस्य के पद के लिए अर्जी भी दी थी। कुछ तथ्य सामने हैं। मंडल कमिश्नर पद पर एक भी महिला नहीं। 20 जिलों में सिर्फ डीसी लगने वाली खुशनसीब सिर्फ श्रुति सिंह ही है। दिलचस्प बात है मुख्यमंत्री सचिवालय में कोई भी आईएएस या पीसीएस महिला तैनात नहीं है। मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल और डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के दफ्तरों या सरकारी आवास पर लगे अफसरों में कोई भी महिला नहीं। यह प्रथा पुरानी है। अमरिंदर सरकार में भी सीएम सचिवालय में कोई सीनियर महिला अफसर नहीं थी। किसी भी महिला को मुख्य सचिव न लगाने की रवायत भी नई नहीं। आज तक किसी भी महिला अफसर को पंजाब के मुख्य सचिव का पद नसीब नहीं हुआ। कारण और भी होंगे, लेकिन जेंडर बॉयस को भी नाकारा नहीं जा सकता। अब तो योग्यता का सबसे बड़ा पैमाना आकाओं की वफादारी है। विडम्बना एक और भी है। सामाजिक और और सांस्कृतिक स्तर पर हरियाणा और हिमाचल ,पंजाब से पिछड़े तथा रूढि़वादी माने जाते है। हरियाणा में तीन महिला अफसर मुख्य सचिव लग चुकी है। 2006 में मीनाक्षी आंनंद चौधरी, 2007 में प्रोमिला ईस्सर और उर्वशी गुलाटी ने 2009 में यह पद संभाला। तीनों को मुख्यमंत्री भूपेंंद्र सिंह हुड्डा ने लगाया। मीनाक्षी और उर्वशी एक ही पंजाबी परिवार में जन्मी बहनें हैं अब तो हिमाचल की मुख्य सचिव भी एक पंजाबन राजवंत कौर संधू है लेकिन पंजाब में पंजाबी महिला अफसरों की बारी कब आएगी ? जवाब अभी नहीं है।
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Tirchhi Nazar by Baljit Balli,.24-11-2011,
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