तीन दिन पहले की बात है। चंडीगढ़ से चलाए जा रहे एक रीजनल न्यूज चैनल पर पंजाब के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हो रही थी। बादल परिवार पर लगे ट्रांसपोर्ट स्कैम, केबल नेटवर्क और टीवी चैनलों पर एकाधिकार के आरोपों पर बहस गर्म थी। बात पार्टियों की बिजनेस हितों की भी चली। चर्चा में हिस्सा ले रहे एक सीनियर अकाली नेता ने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंगला की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यह बात हम और सिंगला जैसे सभी लोगों पर लागू होती है। वर्षों तक तो पार्टी वर्कर काम करते रहते हैं और जब राज्यसभा सीट की बारी आती है तो यह कोई और ले जाता है। अंग्रेजी अखबार के एक संपादक ने राजनितिक पार्टियों के बदलते चरित्र की तरफ इशारा किया। उन्होंने कहा, राजनीति में आम आदमी की बात हर कोई करता है, लेकिन पार्टियों में ऐसा कुछ भी नहीं होता। जो लोग राजनीति में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, वे या तो नेताओं के बेटे-बेटियां और नाती हैं या फिर पैसे वाले। बिजनेसमैन के लिए भी यहां संभावनाओं की कमी नहीं है।
अमेरिकन शैली के बाजारों की तर्ज पर भारत में मुनाफाखोरी कल्चर पूरी तरह रच-बस चुका है। राजनीति में भी ऐसा ही है। राजनीति को बिजनेस समझकर काम करने वाले नेताओं की बल्ले-बल्ले हो रही है। लगभग सभी नेता राजनीति को पुश्तैनी पेशा बना चुके हैं। राजनीति को फैमिली बिजनेस मानकर आगे बढ़ाना पूंजीवादी युग की पैदावार है। यही वजह है कि नेताओं और कारोबारियों में ज्यादा फर्क नहीं रह गया है। राजनीति और बिजनेस एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं। पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल दोनों पार्टियों में यह चलन बढ़ गया है। इस दौरान एक वरिष्ठ अकाली नेता ने कहा, \"हमारी पार्टी में भी बिजनेस कल्चर हावी हो चुका है। राजनीति की जगह मैनेजमेंट ने ले ली है। इसी का नतीजा है कि सिर्फ पूर्व डीजीपी ही नहीं, बल्कि लुधियाना का एक बड़ा उद्योगपति भी चुनाव लडऩे की तयारी में है। दोनों पार्टियों में टिकट के ऐसे बहुत से दावेदार हंै।
मीडिया बिजनेस भी
पंजाब और हरियाणा के नेताओं के लिए मीडिया का यूज-मिसयूज कोई नई बात नहीं, लेकिन अब यहां के नेता मीडिया बिजनेस में भी सीधे तौर पर दाखिल हो चुके हैं। उत्तर भारत के यह ट्रेंड अभी नया ही है। शुरुआत शुक्ला परिवार ने की। बादल परिवार और विनोद शर्मा भी पीछे नहीं रहे। कई और नेता भी कतार में हैं। जो भी नेता ऐसा करेगा, वह मीडिया को अपने राजनीतिक लक्ष्य के लिए तो प्रयोग करेगा ही, साथ में अच्छे-खासे नोट भी कमाएगा।
-
Tirchhi Nazar by Baljit Balli (Dainik Bhaskar,Oct.,07,2011),
Disclaimer : The opinions expressed within this article are the personal opinions of the writer/author. The facts and opinions appearing in the article do not reflect the views of Babushahi.com or Tirchhi Nazar Media. Babushahi.com or Tirchhi Nazar Media does not assume any responsibility or liability for the same.