नेताओं के पास समय नहीं था युग पुरुष को अलविदा कहने के लिए
बुधवार को गुरशरण भाजी की अंतिम विदाई थी। श्मशानघाट में बहुत लोग थे। हर वर्ग के, हर उम्र के। जाने-माने रंगकर्मी, लेखक, अध्यापक, शिक्षा शास्त्री, मीडिया वाले, किसान, मजदूर, कामरेड पार्टियों के नेता और एनजेडसी वाले भी। लेकिन पंजाब की सत्ताधारी और विरोधी पार्टी के नेतागण अलोप थे। सिर्फ मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के सलाहकार डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने ही हाजिरी लगवाई। पंजाब का न कोई मंत्री,न ही अकाली दल का कोई नेता और न ही कोई आला अफसर वहां पहुंचा। यहां तक कि पंजाब के सांस्कृतिक विभाग के मंत्री व अधिकारी भी नदारद रहे। कांग्रेस पार्टी के भी किसी बड़े नेता को फुर्सत नहीं मिली वहां आने की। शायद वहां कोई बड़ा वोट बैंक नहीं था। गुरशरण सिंह लोगों के लिए भाई मन्ना सिंह थे, युगपुरुष थे, लोक रंगमंच के बाबा बोहड़ थे, सामाजिक तबदीली के आंदोलन के प्रतीक एक क्रक्रांतिकारी थे, लेकिन राजनीतिक नेताओं को इससे क्या मतलब। मीडिया ने उनके साथ पूरा न्याय किया है। वीरवार की अखबारों में गुरशरण सिंह के जीवन संघर्ष के बारे खबरें, लेख और कमेंट्स पढ़कर हो सकता है किसी नेता को पछतावा हुआ हो। बाजार और वोट-नोट मुखी व्यवस्था में कितने संवेदनहीन हो गए हैं हमारे नेतागण।
सरकार कोई भी हो-रिफॉम्र्स एजेंडा मजबूरी होगी। :
पंजाब गवर्नेंस रिफॉम्र्स कमीशन ने अपना काम समाप्त कर लिया है। कमीशन की कुछ सिफारिशें लागू हो गई हैं। कुछ प्रक्रिया में हैं और अभी कुछ फाइलों में भी हैं। सुखबीर बादल को बहुत जल्दी है कि विधानसभा चुनाव से पहले राइट टू सर्विस एक्ट और पुलिस सुविधा और सांझ केंद्र प्रणाली लागू हो। लोगों को फायदा हो। खुद उनकी और अकाली-भाजपा सरकार की छवि सुधरे। समय बहुत कम है। दो बातें बहुत स्पष्ट हैं। इस कमीशन ने जो किया है वह पहले कभी नहीं हुआ। डॉ. प्रमोद कुमार की टीम ने सिर्फ जनरल सिफारिशें ही नहीं दी, बल्कि इनको लागू करने के तौर-तरीके, उठाए जाने वाले कदम, कानून और नियमों में संशोधन, निचले स्तर तक का मेकैनिज्म तथा सभी बारीकियों का ब्योरा भी तैयार करके दिया। दूसरा यह कि विधानसभा चुनाव में और उसके बाद भी ये गवर्नेंस सुधार एक अहम एजेंडा रहेंगे। अगली सरकार किसी की भी बने इस एजेंडे को आगे ले जाना उसकी मजबूरी होगी।
प्रेस रूमों का मुकाबला 2012 के पंजाब चुनाव के लिए अकाली दल और कांग्रेस के 2012 के पंजाब चुनाव के लिए अकाली दल और कांग्रेस में कैप्टेन अमरिंदर सिंह और अकाली दल प्रेस रूमों का हो रहा दिलचस्प मुकाबला नया वरतारा है. जब भी किसी एक का प्रेस बयान मीडिया को जाता है तो दूसरी पार्टी से इस का प्रतिकर्म घंटे -दो घंटे बाद फटाफट जारी हो जाता है .दुसरे की रिलीज़ के अख़बार में छपने का कोई भी इंतजार नहीं करता.बी जे पी अपनी जुबांन आम तौर पर बंद रखती है.
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Tirchhi Nazar by Baljit Balli(Dainik Bhaskar,Chd,Sept.,30,2011,
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