बात 28 अक्टूबर 1999 की है. मैंने लन्दन जाना था . ब्रिटिश एयर वेज़ की उड़ान देर रात को दिल्ली से थी . चैक इन के बाद बोअर्डिंग पास लेकर मैं वेटिंग हाल में पहुंचा . मेरी नज़र आगे वाली कुर्सिओं पर पड़ी. बी जे पी नेता नरेन्द्र मोदी आगे बैठे थे .एक हल्का सा कम्बल उनके पास था.बिलकुल अकेले थे.मैनें नमस्कार की और पूछा ,\" पहिचाना मुझे ?\" कुछ क्षणों के लिए मोदी ने सोचा और फेर बोले ,\" जी हाँ , फर्क सिर्फ इतना है अब आपकी दाढ़ी भी सफेद हो रही है और मेरी भी .चंडीगढ़ और वहां के पत्रकारों को मैं कभी नहीं भूलूंगा .\" वोह भी उसी फ्लाईट पे किसी शिक्षा संस्था में भाषण देने लन्दन जा रहे थे. वो कई साल पंजाब , हरयाणा ,हिमाचल और चंडीगढ़ बी जे पी के इंचार्ज रहे थे . उनकी अगवानी में ही 1996 चंडीगढ़ बी जे पी - अकाली गठबंधन ने नगर निगम चंडीगढ़ के पहिले चुनाव में दो-तिहाई बहुमत्त हासल किया था .1997 में पंजाब विधान सभा चुनाव में अकाली- भाजपा गठबंधन की हुई जीत के वक्त और इसके बाद 1998 तथा 1999 के लोक सभा चुनाव के दौरान वो इधर ही थे.मेरी कोई ज्यादा निजी पहिचान उनसे नहीं थी .अजीत के नामा निगार के तौर पर चंडीगढ़ में उनसे अक्सर मिलना हो ही जाता था.
उस रात हम चंडीगढ़ ,पंजाब और हरयाणा की ताज़ा राजनीती की चर्चा करते रहे. हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतर के जाते वक्त दूर से उन्हों हाथ हिलाके मुझे बाय -बाये कहा .दिल्ली एअरपोर्ट पे तब मेरे सिवा वो किसी का आकर्षण केंद्र नहीं थे जब की आज दुनिया भर में उनकी चर्चा है . 2001 में वो गुजरात के मुख्य मंत्री बने ,उसके बाद कभी उनसे मुलाकात का सबब्ब नहीं बना. मोदी मिहनती हैं , संजम सुभाव के हैं ,धुन के पक्के हैं ,ब्रह्मचारी हैं, हल्का और सादा भोजन लेते हैं लेकिन पुशाक और दाढ़ी -मूंछों का बहुत ख़याल रखते हैं .2006 में उनकी ताजपोशी के वक्त चंडीगढ़ से ज्ञान चन्द गुप्ता के साथ सथानीय नेता हरी शंकर मिश्रा वधाई देने गए .मोदी बोले ,\" मिश्रा जी यह मूंछे मुझे डराने के लिए रखी हैं क्या ? \" उनको याद था कि पहिले मिश्रा जी मूंछे नहीं रखते थे .
बादल ,मोदी,हूडा और एस जी पी सी चुनाव
मोदी के उपवास पे मुख्य मंत्री परकाश सिंह बादल अहमदाबाद गए. दूरदर्शी राजनितिक मकसद तो था ही लेकिन इस क्षेत्र से मोदी के रहे रिश्ते का भी इस में योगदान है .कमाल है कि बादल के वहां जाने के एक दिन बाद पंजाब में एस जी पी सी के चुनाव थे फिर भी सिख वोटरों ने अकाली दल बादल के हक्क में अपना बड़ा फतवा दिया .इशारा स्पष्ट है : पंजाब में फिरकू बांट वाली राजनीती की जगह माडरेट एंव सेकुलर विचारधारा हावी है. चुनाव के नतीजों से बादल और सुखबीर बागो-बाग़ हैं . राहत तो भूपिंदर सिंह हूडा को भी मिली है.अलग हरयाणा एस जी पी सी के अपने वादे पे वो फंसे हुए थे. हरी झंडी देने को सोनिया गाँधी का साफ़ इनकार था .अलग कमेटी के वकील झींडा और नलवी बुरी तरह हार गये है.इस मांग को टालना हूडा के लिए और आसान हो जाएगा.
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TIRCHHI NAZAR BY BALJIT BALLI.DAINIK BHASAKR CHANDIGARH,SEPT,24,2011,
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