श्रोमणी गुरद्वारा परबंधक कमेटी के चुनाव की तारीख के ऐलान से पहिले इस वार यह अनुमान था की 2012 में होने वाले पंजाब विधान सभा चुनाव में इस वार आर्थक,विकास्मुखी तथा गवर्नंस सुधार के मुद्दे ही हावी रहेंगे.लेकिन एस जी पी सी के चुनाव में सहिज्धारी सिखों के वोट के अधिकार और आनंद विवाह एक्ट को लेकर जो घटनाक्रम सामने आया है इस से पंथक मुद्दे एक वार फिर पंजाब की राजनीती का केंद्र बिंदु बन गए हैं.यह कहिना भी गलत नहीं होगा की कांग्रेस पार्टी और केंद्र सरकार ने खुद ही पंथक एजंडा परकाश सिंह बादल तथा सुखबीर बादल के हाथों परोस दिया है .अब तक जो कुछ भी हुआ उसके परभाव और नतीजे इस प्रकार हैं.
सहिज्धारी वोट अधिकार के मामले पर केन्द्रीय ग्रह मंत्रालय और कानून मंत्रालय में तालमेल नहीं था. बाद में दोनों में इसे मुद्दे पे खींचतान होती नज़र आ रही है.मनमोहन सरकार की हुई किरकिरी से देश की जनता में पहिले से बना परभाव और पक्का हो रहा है की यू पी ए सरकार में प्रधान मंत्री समेत किसी एक का कण्ट्रोल नहीं, इस के अलग अलग मंत्रिओं, नेताओं और विभागों का आपसी तालमेल नहीं , बल्कि सभी एक दूसरे की तंग खींचने में लगे हुए हैं . वहां आपाधापी जारी है.
कानून मंत्रालय के रिकॉर्ड से साफ़ है की विदेश मंत्रालय की सिफारश पर हरभगवान सिंह को इस मामले में वकालत की जिम्मेवारी दी गई थी जिस से बादल और सुखबीर के उस दोष को बल मिला है के इस के पीछे कैप्टेन अमरिंदर सिंह की साजिश थी .अकाली नेताओं का यह परचार भी कारगर होने लगा है की कांग्रेस पार्टी सिखों के धार्मिक मामले में गैर-ज़रूरी दखल-अंदाजी कर रही है और किसी न किसी तरह एस जी पी सी पर कब्ज़ा जमाना चाहती है. अब यह सवाल भी उठेगा की क्या ग्रह मन्त्री पी चिदाम्ब्रम ने संसद में यह क्यों दावा किया के हरभगवान इस केस में भारत सरकार के वकील नहीं थे ? उनके खिलाफ सदन की मर्यादा के उलंघन का मामला भी उठेगा.
गुरुद्वारा सुधार के मुद्दे चर्चा में नहीं
इस से इस चुनाव में अकाली दल को राजनितिक लाभ हुआ है और पंथक मोर्चा, सिमरनजीत सिंह मान,बरनाला तथा बादल विरोधिओं को नुकसान पुहंचा है.इस घटनाक्रम से बादल विरोधी दलों की ओर उठाए जा रहे, गुरद्वारा परबन्ध में निघार और सुधार तथा दूसरे धार्मिक पीछे चले गए हैं. एस जी पी सी के नतीजे जो भी हों ,पर एक बात तह है के , 2012 के पंजाब विधान सभा चुनाव में विकास तथा गवर्नंस सुधर के इलावा पंथक मुद्दे अकाली दल के हाथ में होंगे.आनंद विवाह एक्ट में संस्शोधन की तजवीज़ को रद्द करने में भी केंद्र सरकार ने जल्दबाजी करके कांग्रेसी सिखों समेत दुनिया भर के सिखों को निराश किया .यह माना जा रहा है आर एस एस और भाजपा की ओर से इस एक्ट के विरोध को देखते हुए सरकार ने इस एक्ट की मांग को रद्द किया .
इस बार कांग्रेस नहीं अमरिंदर निशाने पर
केंद्र -विरोधी तथा कांग्रेस-विरोधी मोर्चेबंदी वाली राजनीती के सहारे सत्ता हथिआने का अकाली दल का लम्बा इतिहास है लेकिन इस वार बादल,सुखबीर और अकाली लीडरशिप ,केवल कांग्रेस लीडरशिप और विशेषकर अमरिंदर सिंह को ही निशाना बना रहें हैं और सोनिया,मनमोहन सिंह और उनकी बाकी लीडरशिप पे हमलों से गुरेज़ कर रहें हैं .बादल सरकार और मनमोहन दरबार के बीच चल रही यह सहिहोंद, पंजाब की राजनीती का नया पक्ष है .
E-mail:tirshinazar@gmail.com
-
Tirchhi Nazar by Baljit Balli(Dainik Bhaskar chandigarh, 9th sept, 2011),
Disclaimer : The opinions expressed within this article are the personal opinions of the writer/author. The facts and opinions appearing in the article do not reflect the views of Babushahi.com or Tirchhi Nazar Media. Babushahi.com or Tirchhi Nazar Media does not assume any responsibility or liability for the same.